Thanks to Anurag Kashyap and Piyush Mishra we have an album of brilliant songs who reinvent the meaning of good poetry. A tribute to Sahir Ludhiyanwi and Majrooh Sultanpuri, the music and lyrics of the movie Gulaal is simply put in a word 'AWESOME'.
The song which really touched me though is "आरम्भ है प्रचंड". The song reaches deep within your heart and brings out the 'ओज' and 'वीरता' inside it.
The first time I heard the song I was like shocked. How can such good songs even come out in these days of blatant remixes and 'Desi Girls'. It was like getting transported to the good old college days with 'Nukkad Nataks' playing in the lawns. I knew I HAD to write about it.
You can listen to a part of it here :
Here is the lyrics for the song. Enjoy!!
आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झूंड;
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो।
आन, बान, शान या की जान का हो दान,
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो।
आरम्भ है प्रचंड...
मन करे सो प्राण दे,
जो मन करे सो प्राण ले,
वही तो एक सर्वशक्तिमान है।
कृष्ण की पुकार है,
ये भागवत का सार है,
की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है।।
कौरवों की भीड़ हो या,
पांडवों का नीड़ हो,
जो लड़ सका है वो ही तो महान है।
जीत की हवस नहीं,
किसी पे कोई वश नहीं,
क्या जिंदगी है ठोकरों पे मार दो।।
मौत अंत है नहीं,
तो मौत से भी क्यूँ डरे,
ये जाके आसमान में दहाड़ दो॥
आरम्भ है प्रचंड ...
हो दया का भाव,
या की शौर्य का चुनाव,
या की हार का वो भाव,
तुम ये सोच लो।
या की पूरे भाल पर,
जला रहे विजय का लाल,
लाल ये गुलाल,
तुम ये सोच लो।।
रंग केसरी हो या
मृदंग केसरी हो या
की केसरी हो ताल
तुम ये सोच लो।
जिस कवि की कल्पना में,
ज़िन्दगी हो प्रेम गीत,
उस कवि को आज तुम नकार दो।
भीगती नसोंं में आज,
फूलती रगों में आज,
आग की लपट का तुम बघार दो॥
2 Comments:
Your blog keeps getting better and better! Your older articles are not as good as newer ones you have a lot more creativity and originality now keep it up!
Hmmmm.... thanks for the hausla afzahi. But why did you remain anonymous. I can use another friend (with a name), you know.
Post a Comment